Tuesday 23 August 2016

Bhavya Verma Selected as IAS


आईएएस 2015 मेन्स का परिणाम आ गया है। इसमें जयपुर के भव्य वर्मा का 188वीं रैंक मिली है। भव्य फिलहाल फरीदाबाद में आईआरएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। भव्य के पिता राजस्थान के तकनीकी शिक्षा विभाग में आरएएस है। (उनकी इस सफलता पर हमने उनसे फोन पर बात की, और जाने उनकी सफलता के राज...)
प्रश्न 1— आप अभी फरीदाबाद में IRS की ट्रेनिंग कर रहें है, ट्रेनिंग के दौरान आप कितने घंटे पढ़ाई करते हैं।
भव्य— मैं जब घर पर रहता था, तब मैं 12 से 13 घंटे की पढ़ाई किया करता था। सभी विषयों को बराबर समय दिया करता था। 2014 में एग्जाम देने के बाद मैनें अकेडमी ज्वाइन की थी। एकेडमी ज्वाइन करने के बाद मुझे इंटरव्यू की भी तैयारी करनी थी, इसी को ध्यान में रखते हुए मैं रोज दो से तीन घंटे करंट अफेयर्स के नोट्स बनाता था और साथ में पढ़ने वालों से चर्चा करता था। ताकि सबजेक्ट को आसानी से समझा जा सके।
प्रश्न 2— आपने अपनी ट्रेनिंग और पढ़ाई में तालमेल कैसे बिठाया?
भव्य— समय को ध्यान में रखकर हर काम करना पड़ता है। क्लास में पढ़ाई करने के साथ ही मैं सुबह क्लास जाने से पहले न्यूजपेपर पढ़ लिया करता था। इंटरव्यू में हम लोग जो पढ़ रहें हैं, जो सीख रहें है, वो भी पूछा जाता है। तो इसीलिए हम क्लास में पूरा ध्यान रखते थे। अपने साथियों के साथ क्लास में जो पढ़ा करते थे, उस पर भी चर्चा करते थे। साथ ही आईआरएस के बाहर जो करंट अफेयर चलते थे, वो भी पढ़ते थे।
प्रश्न 3— परिवार का साथ किस तरह बना रहा?
भव्य— परिवार का पूरा सपोर्ट था। मैनें एमबीए की पढ़ाई कर रखी थी। तो जब मैनें उन्हे यह बताया कि मैं घर पर रहकर आईएएस की पढ़ाई करना चाहता हूं, तो घरवालों ने इस बात को समझा। मेरे पिता खुद इस सर्विस में है, मेरी मम्मी भी सरकारी नौकरी में हैं, तो उन्हे सरकारी नौकरी की अहमियत अच्छे से समझ में आती है। घर पर रहकर ही मैने सारी तैयारी की। मेरी हर छोटी चीज का ध्यान रखना। अगर पढ़ाई में ध्यान नही लगा पाता था, तो भी वो मेरी मदद किया करते थे। मेरी मम्मी, पापा और मेरे छोटे भाई ने हरकदम पर मेरा पूरा सपोर्ट किया है।
प्रश्न 4— अब आप क्या करना चाहेंगे?
भव्य— अब आईएएस मिल जाएगा। एक नया एक्साइटमेंट है। इसे भारत की सबसे अच्छी जॉब मानी जाती है। आईएएस बनकर समाज के लिए काम करने की सोची थी। धीरे धीरे चीजों में सुधार लाना है। तो अब ध्यान पूरी तरह काम पर होगा।
प्रश्न5— सफलता पाने के लिए आपने अपने धैर्य को बनाए रखा। तीसरी बार में जाकर आपने एग्जाम पास किया। हाल ही में कोटा में कई छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या कर ली। ऐसी स्थिति में आप छात्रों को और उनके माता पिता को क्या बोलना चाहेंगें?
भव्य— हताश बिल्कुल नही होना चाहिए। सब पढ़ाई करते हैं, लेकिन सीट लिमिटेड होती हैं। जाहिर है कि किसी का होगा और किसी का नहीं। लेकिन जिसका नहीं हुआ, उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि वो उसके काबिल नहीं है। नही हुआ, इसका मतलब है आपको अगली बार और बेहतर तरह से कोशिश करना हैं। आप लगातार कोशिश करते रहेंगें, तो आपको एक दिन सफलता मिलनी ही मिलनी है। आप अपने माता पिता से लगातार बात करते रहनी चाहिए। एक परीक्षा में पास होना या ना होना उतना मायने नही रखता, लेकिन आपकी जिन्दगी बहुत मायने रखती है। माता पिता को भी समझना चाहिए और अपने बच्चों को फोर्स नही करना चाहिए। बच्चों को सपोर्ट करना एक अलग बात है, और फोर्स करना अलग। कई बार बच्चों के मन में भी अपने माता पिता का भी डर होता है कि मैं सफल हो पाउंगा तो उन्हें क्या कहूंगा। एक बार अगर यह डर उनके मन से निकल जाएगा, तो फिर वो मेहनत अच्छे ढंग से कर पाएंगे।


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